Questions Which generally should be known by a Shabar Mantra Sadhak Mean Shabar Mantra Sadhak should aware about such Information regarding the shabar mantra rituals ....
ध्यान रहे की शाबर मंत्र की शक्ति कसमें, दुहाई या आन है।
इसमें किसी भी देवी देवता, जिन्न, भूत प्रेत,डाकिनी इत्यादि को
हमेशा दुहाई ही जाती है उनके इष्ट या प्रिय की, जिसके दम पर
सब कार्य होता है अत: इस व्यवहार के लिए क्या क्या आवश्यक
है वो सब निचे विस्तृत कर दिया गया है।
शाबर मन्त्र साधना सम्बंधी के नियम, तथ्य व निर्देश
1. गोपनीयता की शिक्षा हमेशा ध्यान में रखें | अपनी साधना
की चर्चा, साधना के दौरान उत्पन्न अनुभव आदि किसी से ना कहें | ये सब बाते गुप्त
रखे |
2. विश्वास सबसे बड़ी चीज हैं इसलिए पहले खुद पर विश्वास रखे और जो मन्त्र आप सिख रहे हैं, उन पर भी विश्वास रखे |
3. शाबर मंत्रो की साधना किसी भी शनिवार, रविवार, मंगलवार, होली, दिवाली, ग्रहण तथा किसी भी शुभ महूर्त के दिन अथवा रात में इनकी साधना की जा सकती है |
4. जिस दिन साधना करनी हो उस दिन अपनी इच्छानुसार स्नान आदि करके किसी स्वच्छ स्थान या अपने ईष्ट देव के सामने शबर मन्त्र की साधना की हा सकती हैं |
5. साधना के लिए आप काला कम्बल, कुश आदि के आसन का प्रयोग कर सकते हैं | मुख्यतः काला कम्बल ठीक रहेगा |
6. शाबर मन्त्र के जप से पहले गुरु, गणेश, ईष्ट आदि की पूजा कर के उनसे सिधि में सहायक होने के लिए प्रार्थना करे |
7. इस साधना को किसी भी जाति, वर्ण, आयु का पुरुष या स्त्री कर सकतीहै।
8. इन मन्त्रोंकी साधना में गुरु की इतनी आवश्यकता नहीं रहती, क्योंकि इनके प्रवर्तकस्वयं सिद्ध साधक रहे हैं। इतने पर भी कोई निष्ठावान् साधक गुरु बन जाए, तो कोईआपत्ति नहीं क्योंकि किसी होनेवाले विक्षेप से वह बचा सकता है।
9. साधना करते समय किसी भी रंग की धुली हुई धोती पहनी जा सकती है तथा किसी भी रंग काआसन उपयोग में लिया जा सकता है।
10. साधना में जब तक मन्त्र का जप चल रहा हो तब तक दीपक जलना चाहिए और हर अलग साधना के लिए नये दीपक की आवश्यकता नहीं होती हैं उसी एक दीपकके सामने कई मन्त्रों की साधना की जा सकती है।
11. अगरबत्ती या धूप किसी भी प्रकार की प्रयुक्त हो सकती है, किन्तु शाबर साधना में गूगल तथा लोबान की अगरबत्ती या धूप की विशेष महत्ता मानी गईहै।
12. जहाँ ‘दिशा’ का निर्देश न हो, वहाँ पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करके साधना करनीचाहिए। मारण, उच्चाटन आदि दक्षिणाभिमुख होकर करें। मुसलमानी मन्त्रों की साधना पश्चिमाभिमुख होकर करें।
13. जहाँ ‘माला’ का निर्देश न हो, वहाँ कोई भी ‘माला’ प्रयोग में ला सकते हैं। ‘रुद्राक्ष की माला सर्वोत्तम होती है। तथा मुसलमानी मन्त्रों में ‘हकीक’ की माला प्रयोग करें। माला संस्कार आवश्यक नहींहै। एक ही माला पर कई मन्त्रों का जप किया जा सकता है।
14. शाबर मन्त्रों की साधना में ग्रहण काल का अत्यधिक महत्त्व है। अपने सभी मन्त्रों सेग्रहण काल में कम से कम एक बार हवन अवश्य करना चाहिए। इससे वे जाग्रत रहतेहैं।
15. हवन के लिये मन्त्र के अन्त में ‘स्वाहा’ लगाने की आवश्यकता नहीं होती। जैसा भीमन्त्र हो, पढ़कर अन्त में 21, 41, 108 बार गूगल, लोहबान व हवन सामग्री से आहुति दें।
16. ‘शाबर’ मन्त्रों पर पूर्ण श्रद्धा होनी आवश्यक है। अधूरा विश्वास या मन्त्रों परअश्रद्धा होने से फल नहीं मिलता।
17. साधना काल में एक समय भोजन करेंजिससे की आलस नहीं होगा और नींद की समस्या उत्पन्न नहीं होगी |
18. ब्रह्मचर्य-पालन करें। मन्त्र-जप करते समय स्वच्छता का ध्यान रखें।
19. साधना काल के दौरान झूट, लालच, छल - कपट व किसी की बुराई या चुगली ना करे और ना ही किसी का अपमान करे विशेषकर कन्या, स्त्री, संत व्यक्ति आदि |
20. साधना दिन या रात्रि किसी भी समय कर सकते हैं। इन साध
नाओं में समय की प्रतिबन्धता नहीं होती, हाँ फिर भी एक बात जरुर बताना चाहूँगा की जिस समय कोई एक साधना शुरू की है और वो एक दिन से अधिक की साधना है तो वो पूरी साधना उसी समय करनी होगी जिस समय पहले दिन की थी |
21. कई लोगो को साधना के दौरान कुछ भयानक अनुभव होए हैं लेकिन इनसे घबराना नहीं चाहिए ये सिर्फ मन का डर होता हैं |
22. धेर्य और साहस से जप करे | निष्ठा से ही प्रत्येक कार्य में सिद्धि मिलती हैं |
23. शबर मन्त्रो की साधना में निम्बू की बलि जरुर ही देनी चाहिए | मन्त्र पढ़ते हुए निम्बू को काट कर हवन की अग्नि में निचोड देना चाहिए | और नारियल की भी बलि देनी चाहिए |
24. शाबर ‘मन्त्र’ जैसा लिखा है वैसा की पढ़ना / जप करना हैं| इनमे त्रुटि निकालकर इनमे कोई काट छांट नहीं करनी है | जिस तरह आपको दिया गया है वैसा ही जप करे |
25. मन्त्र का जाप कहीं भी कर सकते हैं, घर पर, देवालय में,अपने ईष्ट देव के सम्मुख, एकान्त स्थान पर जहाँ मानव का संचार बहुत ही कम हो |
26. यदि शाबर मन्त्र की साधना अधूरी छूट जाए या साधना में कोई कमी रह जाए, तो किसीप्रकार की हानि नहीं होती।
2. विश्वास सबसे बड़ी चीज हैं इसलिए पहले खुद पर विश्वास रखे और जो मन्त्र आप सिख रहे हैं, उन पर भी विश्वास रखे |
3. शाबर मंत्रो की साधना किसी भी शनिवार, रविवार, मंगलवार, होली, दिवाली, ग्रहण तथा किसी भी शुभ महूर्त के दिन अथवा रात में इनकी साधना की जा सकती है |
4. जिस दिन साधना करनी हो उस दिन अपनी इच्छानुसार स्नान आदि करके किसी स्वच्छ स्थान या अपने ईष्ट देव के सामने शबर मन्त्र की साधना की हा सकती हैं |
5. साधना के लिए आप काला कम्बल, कुश आदि के आसन का प्रयोग कर सकते हैं | मुख्यतः काला कम्बल ठीक रहेगा |
6. शाबर मन्त्र के जप से पहले गुरु, गणेश, ईष्ट आदि की पूजा कर के उनसे सिधि में सहायक होने के लिए प्रार्थना करे |
7. इस साधना को किसी भी जाति, वर्ण, आयु का पुरुष या स्त्री कर सकतीहै।
8. इन मन्त्रोंकी साधना में गुरु की इतनी आवश्यकता नहीं रहती, क्योंकि इनके प्रवर्तकस्वयं सिद्ध साधक रहे हैं। इतने पर भी कोई निष्ठावान् साधक गुरु बन जाए, तो कोईआपत्ति नहीं क्योंकि किसी होनेवाले विक्षेप से वह बचा सकता है।
9. साधना करते समय किसी भी रंग की धुली हुई धोती पहनी जा सकती है तथा किसी भी रंग काआसन उपयोग में लिया जा सकता है।
10. साधना में जब तक मन्त्र का जप चल रहा हो तब तक दीपक जलना चाहिए और हर अलग साधना के लिए नये दीपक की आवश्यकता नहीं होती हैं उसी एक दीपकके सामने कई मन्त्रों की साधना की जा सकती है।
11. अगरबत्ती या धूप किसी भी प्रकार की प्रयुक्त हो सकती है, किन्तु शाबर साधना में गूगल तथा लोबान की अगरबत्ती या धूप की विशेष महत्ता मानी गईहै।
12. जहाँ ‘दिशा’ का निर्देश न हो, वहाँ पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करके साधना करनीचाहिए। मारण, उच्चाटन आदि दक्षिणाभिमुख होकर करें। मुसलमानी मन्त्रों की साधना पश्चिमाभिमुख होकर करें।
13. जहाँ ‘माला’ का निर्देश न हो, वहाँ कोई भी ‘माला’ प्रयोग में ला सकते हैं। ‘रुद्राक्ष की माला सर्वोत्तम होती है। तथा मुसलमानी मन्त्रों में ‘हकीक’ की माला प्रयोग करें। माला संस्कार आवश्यक नहींहै। एक ही माला पर कई मन्त्रों का जप किया जा सकता है।
14. शाबर मन्त्रों की साधना में ग्रहण काल का अत्यधिक महत्त्व है। अपने सभी मन्त्रों सेग्रहण काल में कम से कम एक बार हवन अवश्य करना चाहिए। इससे वे जाग्रत रहतेहैं।
15. हवन के लिये मन्त्र के अन्त में ‘स्वाहा’ लगाने की आवश्यकता नहीं होती। जैसा भीमन्त्र हो, पढ़कर अन्त में 21, 41, 108 बार गूगल, लोहबान व हवन सामग्री से आहुति दें।
16. ‘शाबर’ मन्त्रों पर पूर्ण श्रद्धा होनी आवश्यक है। अधूरा विश्वास या मन्त्रों परअश्रद्धा होने से फल नहीं मिलता।
17. साधना काल में एक समय भोजन करेंजिससे की आलस नहीं होगा और नींद की समस्या उत्पन्न नहीं होगी |
18. ब्रह्मचर्य-पालन करें। मन्त्र-जप करते समय स्वच्छता का ध्यान रखें।
19. साधना काल के दौरान झूट, लालच, छल - कपट व किसी की बुराई या चुगली ना करे और ना ही किसी का अपमान करे विशेषकर कन्या, स्त्री, संत व्यक्ति आदि |
20. साधना दिन या रात्रि किसी भी समय कर सकते हैं। इन साध
नाओं में समय की प्रतिबन्धता नहीं होती, हाँ फिर भी एक बात जरुर बताना चाहूँगा की जिस समय कोई एक साधना शुरू की है और वो एक दिन से अधिक की साधना है तो वो पूरी साधना उसी समय करनी होगी जिस समय पहले दिन की थी |
21. कई लोगो को साधना के दौरान कुछ भयानक अनुभव होए हैं लेकिन इनसे घबराना नहीं चाहिए ये सिर्फ मन का डर होता हैं |
22. धेर्य और साहस से जप करे | निष्ठा से ही प्रत्येक कार्य में सिद्धि मिलती हैं |
23. शबर मन्त्रो की साधना में निम्बू की बलि जरुर ही देनी चाहिए | मन्त्र पढ़ते हुए निम्बू को काट कर हवन की अग्नि में निचोड देना चाहिए | और नारियल की भी बलि देनी चाहिए |
24. शाबर ‘मन्त्र’ जैसा लिखा है वैसा की पढ़ना / जप करना हैं| इनमे त्रुटि निकालकर इनमे कोई काट छांट नहीं करनी है | जिस तरह आपको दिया गया है वैसा ही जप करे |
25. मन्त्र का जाप कहीं भी कर सकते हैं, घर पर, देवालय में,अपने ईष्ट देव के सम्मुख, एकान्त स्थान पर जहाँ मानव का संचार बहुत ही कम हो |
26. यदि शाबर मन्त्र की साधना अधूरी छूट जाए या साधना में कोई कमी रह जाए, तो किसीप्रकार की हानि नहीं होती।
शाबर मंत्र साधना में गुरु की आवश्यकता
1. वैसे ये साधनाएँ बिना गुरु के भी की जा सकती हैं | इन साधनाओं में वैसे तो गुरु की भूमिका कोई मुख्य नही होती, इन साधनाओं में आपकी पवित्रता, विश्वास, दृढ़ता, लगन व मेहनत ही मुख्य गुर हैं | फिर भी अगर कोई निष्ठावान् साधक गुरु बन जाए, तो कोई आपत्ति नहीं क्योंकि वह किसी होने वाले नुकसान से वह बचा सकता है । तथा हमारा उचित मार्गदर्शन कर सकता हैं |
2. गुरु बनाने या उनका हाथ आपके सर पर होने से तथा उनका आशीर्वाद आपके पास होने से मन में आत्मविश्वास का विकास होता हैं और यही विश्वास साधना में सफलता की ओर अग्रसर करता रहता हैं |
3. शाबर मंत्र साधना के लिए गुरु धारण करना श्रेष्टव हित कर होता है |
4. गुरु,साधना से उठने वाली उर्जा को नियंत्रित और संतुलित करता है जिस से साधना में जल्दी सफलता मिल जाती है |
5. इसकेअपने ईष्ट देव, देवी का बीज मन्त्र जाप भी लाभदायक होता है |
muje ap ko apna guru bnana hai ji or ap sye guru diksha laine hai ji plzzz muje apna phn num or address de ji a t jo main ap sye mil lo or diksha li saku ji plzzzzzzzzzzzz
ReplyDeletebaba ji meri jise sadi hone wali he wo kisi aur se pyar karti koi asan se tarika bataiye jise meri girlfrind ka usee rista khatam ho jaye..
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