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Hanumaan Chalisa ka prayog kab or kaise Karen | हनुमान चालीसा का प्रयोग कब और कैसे करें

सभी साधक गण हनुमान चालीसा को भलीभांति जानते भी है और मानते भी है. और उनमे से भी लगभग ९०% साधक तो प्रतिदिन इसका पाठ भी करते होंगे. लेकिन अगर उनसे पुछा जाए की भैया सब ठीक ठाक है ना, तो कोई भी ये नहीं बोलेगा की सब ठीक है. सब को समस्या ने घेरा हुआ है.

तो ऐसा क्यों होता है? क्या हनुमान जी कमजोर देवता है या वो हमारी पूजा को सुनते नहीं है?

क्या हनुमान चालीसा का कुछ प्रभाव नहीं है जो इतने दिन हो गए पाठ करते हुए और लाभ कुछ हुआ नहीं?

तो कब और कैसे करें हनुमान चालीसा का पाठ किया जाए, जिस से की भगवान् हनुमान जी की पूर्ण  कृपा प्राप्त की जा सके?

हनुमान चालीसा के पाठ के फायदे अनगिनत है लेकिन कुछ मुख्य – २ फायदे निचे दिए गए है ध्यान से पढ़िए और गौर कीजिये.

-    जो साधक विधिपूर्वक हनुमान चालीसा का पाठ करते है उनको कभी भी धन या पैसों का अभाव नहीं रहता है.
-    हनुमान चालीसा माँ दुर्गा की तरह शत्रुनाशक है. बस पाठ करने की विधि सही हो.
-    हनुमान चालीसा बुरी आत्माओं को दूर करता है. कितनी भी खतरनाक और बुरी आत्मा हो लेकिन हनुमान चालीसा से वो काबू में आती ही आती है और साधक को परेशान करना छोड़ देती है हमेशा के लिए.
-    हनुमान चालीसा का प्रभाव शनि प्रकोप से भी साधक की रक्षा करता है.
-    घर में या मिया बीवी में कोई अनबन चल रही हो और दूर न होकर बात बढती जा रही हो तो हनुमान जी की क्रपा से सब काबू में आ जाता है. बस विधि पूर्वक हनुमान चालीसा का पाठ कीजिये.
-    मुख्यत हनुमान चालीसा बिलकूल सुरक्षित और शक्तिशाली है. इसके पाठ के पूरे फायदे हम नहीं गिन सकते, बस ये ध्यान रखे की अगर आप इसका पाठ प्रतिदिन करते है तो जीवन की कोई भी समस्या आपको परेशान नहीं कर सकती है.

हनुमान चालीसा के लिए आवश्यक सामग्री: १. साधक कैसे भी कपडे पहन सकता है लेकिन बस कपडे धुले हुए होने चाहिए और साधक को अच्छी तरह से नहा लेना चाहिए.
२. आसन, जिस पर बैठ कर पाठ करना है वो आसन लाल ही होना चाहिए और वो भी ऊनी ही बस.
३. प्रसाद चाहे कुछ भी चाहे गुड और चने हो या बूंदी या चूरमा हो, लेकिन तुलसी के पते जरूर होने चाहिए प्रसाद में.
४. हनुमान जी के श्रींगार  के लिए सिन्दूर, चमेली का तेल, और एक जनेऊ ही काफी है.

अब कैसे करें हनुमान चालीसा का पाठ:
-     सबसे पहले आप नहा धो कर स्वच्छ कपडे पहन कर, हनुमान जी को स्नान करा दीजिये. ध्यान रहिये गंगा जल का प्रयोग करना है.

-    ध्यान रहे मन, वाणी और शरीर से ब्रह्मचर्य का पालन करना है अनुष्ठान के दौरान.

-    ये पाठ आप शनिवार या मंगलवार को प्रारंभ कर सकते है. या तो लगातार ४० दिनों का अनुष्ठान कीजिये और या फिर हर शनिवार और मंगलवार को अगले ११ शनिवार और मंगरवार तक. १ दिन में २१ पाठ करने है. पाठ केवल सुबह ही करने है. सुबह ४ बजे पाठ प्रारंभ हो जाने चाहिए.

-    तब उन के शरीर पर चमेली के तेल और सिन्दूर से श्रींगार करना चाहिए. और जनेऊ पहनाना चाहिए.
-    अब चमेली के तेल का दीपक जलाओ और तुलसी पत्ता युक्त प्रसाद को वहीँ रख दो.

-    एक लौटा गंगा जल पूजा स्थल पर जरूर रखा रहने दो, और शुद्ध प्राकर्तिक धुप बत्ती या अगरबत्ती भी लगाओं.

-    अब सबसे पहले गणेश जी का और फिर गुरु का स्मरण करें और प्रणाम करें. तब अपने कुलदेवता और कुलदेवी को याद करें.

-    अब पारिवारिक देवता यानी पितृ देवता को स्मरण करें और उनको प्रणाम करें.

-    अब आपको श्री राम जी को याद करना है और उनकी निचे दी गयी पंक्ति का ७ या अधिक बार (जितना दिल करे) जप करना है, पंक्ति है – जय सिया राम जय जय सिया राम – ७

-    अब हनुमान जी का स्मरण करके हनुमान चालीसा का पाठ प्रारंभ करना है. पाठ इस तरह करना है ध्यान से निचे दी गयी पंक्ति देखिये.
 
हनुमान चालीसा का प्रयोग कब और कैसे करें
हनुमान चालीसा का प्रयोग कब और कैसे करें
हनुमान चालीसा:
दोहा :
श्रीगुरु चरन सरोज रज, निज मनु मुकुरु सुधारि।
बरनऊं रघुबर बिमल जसु, जो दायकु फल चारि॥
जय सिया राम जय जय सिया राम – २ (दो बार )
बुद्धिहीन तनु जानिके, सुमिरौं पवन-कुमार।
बल बुद्धि बिद्या देहु मोहिं, हरहु कलेस बिकार॥
जय सिया राम जय जय सिया राम – २ (दो बार )
चौपाई :
जय हनुमान ज्ञान गुन सागर।
जय कपीस तिहुँ लोक उजागर॥
जय सिया राम जय जय सिया राम – २ (दो बार )
रामदूत अतुलित बल धामा।
अंजनि-पुत्र पवनसुत नामा॥
जय सिया राम जय जय सिया राम – २ (दो बार )
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जय सिया राम जय जय सिया राम – २ (दो बार )
पवनतनय संकट हरन, मंगल मूरति रूप।
राम लखन सीता सहित, हृदय बसहु सुर भूप॥
जय सिया राम जय जय सिया राम – २ (दो बार )
 
Hanumaan Chalisa ka prayog kab or kaise Karen
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इस ढंग से किया गया हनुमान चालीसा का पाठ मनोवांछित फल प्रदान करता है. पाठ के बाद प्रसाद को बाँट दीजिये और गाय और बंदर को गुड या केला जरूर खिलाइए. जब आपकी चालीसा पूर्ण हो जाए तो जैसा पाठ किया है जप के दौरान उसी तरह हवन भी कीजिये हर चौपाई के बाद एक आहुति देनी होगी. और हवन के बाद आपको भूखों में चूरमे का या बूंदी का प्रसाद भी बांटना होगा तुलसी पत्ता युक्त. इसी तरह आपका अनुष्ठान का सफलता पूर्वक संपन्न होगा.


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1 comment:

  1. Hawan kaise karu kya ek ek chaupai ke baad aahuti deni hai sath Mein chaupai ke baad baad Jo aapne bataya hai jai siya ram wo bhi kehna hai tab aahuti Dena hai na kripya batayein jai siya ram

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