क्या आप चाहते है की सभी रिद्धि सिद्धियाँ आपके आगे हाथ जोड़कर खड़ी हो
जाएँ, और यक्ष, गंधवर्, किन्नर आपकी सेवा के लिए हरदम हाजिर रहें, संसार के लोग आपके सामने केवल
मनौती मानकर अपनी मनोकामना पूर्ण कर सके. और आप अध्यात्म की उंचाई की विलक्षण उड़ान
भर सको. भूत प्रेत आपकी केवल उपस्थति से ही भाग खड़े हों. किया कराया या किसी भी
प्रकार का तांत्रिक अभिकर्म बस आपको देखकर ही निष्फल हो जाए... कोई भी असंभव कार्य
जो पूरा न हो रहा हो वो केवल आपके संकल्प मात्र से ही पूरा हो जाए इत्यादि, अगर
हाँ और इस तरह के अनेकों फायदों के लिए जरूर ध्यान दें और धारण करें इस क्रिया को
अपने नियम में...
और ये सब कुछ असंभव बिलकूल नहीं है क्योंकि आप सब ये स्थान हासिल कर
सकते है बड़ी आसानी से केवली कुम्भक के चमत्कार से. केवली कुम्भक का अभ्यास करने से
प्रर्कती के रहस्य आपके सामने स्वयं ही खुलने लगते है, और भूत भविष्य और वर्तमान
आपके सामने स्पष्ट दिखाई देने लगेगे जैसे आप टीवी या सिनेमा देखते है. मतलब केवल
देख कर ही आप किसी का भी भूत, भविष्य और वर्तमान बता सकोगे.
सभी रिद्धि सिद्धि हाथ जोड़ खडी होंगी आपके सामने |
केवली कुम्भक की विधि: केवली कुम्भक मतलब बस कुम्भक लगाना. कुम्भक
यानी सांस जहां है वहीं रोक देना और ध्यान में लीन होना. इसके साथ त्रिबंध भी लगता
है जो इस विधि की शक्ति को असीमित रूप से बढ़ा
देता है और बहुत जल्दी सफलता मिलती है.
Tribandh Yukt Pranayam |
साधना की तयारी - मोर्निंग में नाहा धो कर स्वच्छ होकर एक
कम्बल के आसन पर बैठ जाएँ.
स्थान हवादार हो, अगर शहर है और वहां परदुषण है तो आप एक काम जरूर
करें. आप गोबर के कंडे को जलाकर लाल कर लें और उस पर आधा या एक चम्मच देसी घी दाल
दें. इससे आपके कमरे में या जहां भी आप ये क्रिया करेंगे वहां शुद्ध हवा हो
जायेगी. अब आप आराम से क्रिया कर सकते है.
त्रिबंध क्रिया में ठोड़ी को कंठ में दबाएँ, नाभि को अन्दर खींचे और
गुदा द्वार को भी ऊपर खींचे.
पहले आप सीधी कमर करके बैठ जाएँ. और जितना स्वास ले सकते है उतना लें
और अब त्रिबंध लगारकर स्वास को वहीं रोक दें. ज्यादा जबरदस्ती न करें श्वास रोकने
में और अब धीरे धीरे श्वास छोड दें, अब त्रिबंध हटा सकते है और जब पूरा स्वांस
बहार निकल जाए फिर श्वास न लेकर फिर त्रिबंध लगा लें यथा शक्ति ऐसा करें. ये हो
गयी एक क्रिया. इसी तरह आपको शरुआत में ७ – 8 बार करना है और फिर धीरे धीरे
कैपेसिटी बढ़ाएं.
Sabhi Riddhi Siddhi Haath Jod khadi Hongi Apke Saamne |
ध्यान दें जब आपका श्वास अन्दर बहार जाते वक़्त या अन्दर बहार कहीं भी
स्वत ही रुकने लग जाए यानी आप इतने समर्थ हो जाएँ तो वो समय होगा की आपका केवल
कुम्भक लगाना शरू हो गया है. और वो अवस्था होगी एक सिद्ध योगी की. फिर आप करेंगे
कुछ नहीं बल्कि जो भी कुछ आपसे होगा वो चमत्कार से कम नहीं होगा. यानी सहज ही
चमत्कार होने शरू हो जायेंगे आपके द्वारा.
आप छ महीने ये अभ्यास जरूर करें सुबह और शाम. और फिर देखिये किस तरह
आपकी जीवन ही बदल जाता है. कहां थे और कहां पहुंच जाते है आप. अगर शरीर में किसी
भी तरह कितना भी भयंकर रोग भी है तो वो भी आसानी से गायब हो जाएगा और आपको पता ही
नहीं चलेगा...
केवली कुम्भक |
इस क्रिया में ऐसा नहीं है छ महीने बाद ही आपको रिजल्ट देखने को
मिलेगा, इमानदारी से करें और महीने भर में ही आपको शुभ लक्षण देखने को मिलेंगे....
Kewli Kumbhak, Tribandh Yukt Pranayam, त्रिबंध युक्त प्राणायाम, केवली कुम्भक.
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