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Jinn Jinnat Siddhi - जिन्न जिन्नात सिद्धि

 इस साधना में जिन्न जिन्नात को गुलाम नहीं बनाया जाता बल्कि  उसे मित्र के रूप में पुकारा  जाता है और केवल    इसीलिए ये  साधना   बिलकूल   सुरक्षित  है   और   प्रत्यक्ष फल   देने    वाली  है.  बस  इसमें   एक  ख़ास बात   है   की इसमें   जिन्नात  से  कुछ  भी गलत कार्य नहीं करवाना  चाहिए नहीं तो  वो  फिर  कभी आपके पास  नहीं रहेगा और न कभी   लौटकर   आएगा  फिर  चाहे   कितनी भी  साधना कर लेना.

साधना की  अवधि: साधना  की अवधि एक साधक  के   लिए  41 दिनों की है और ये   किसी   भी  अमावस, शनिवार या  पूर्णिमा को  भी    शरू  कर सकते  है.

समय : जिन्नात रात के 1 बजे सक्रिय रहते है इसीलिए इस  साधना का   समय   भी    रात   1 से   3 बजे तक   का है.

सामग्री: सफ़ेद या लाल कम्बल का आसन, एक लौटा जल जो हर सुबह पीपल में डालना है, लोबान,  गोबर के कंडे.  सरसों  के   तेल का दीपक,

स्थान:   घर  का  कोई भी  एकांत  कौना  या कोई भी   वीरान  जगह  जहां  आपको कोई डिस्टर्ब न   कर    सके.

विधि: आपको रात लगभग 12 बजे उठकर नहाधोकर या हाथ पैर धो कर साफ़ कपडे  पहनकर  साधना के लिए  तयार  हो   जाना  है.  सरसों के तेल का दीपक  लगा  लो  और  कंडा  या  उपला सुलगा  लो,  किसी      मिटटी   के पात्र में कंडा सुलगा  कर  उस  पर  लोबान   छोड़  दो,  3  बजे तक लोबान  सुलगती   रहनी  चाहिए.

संकल्प: अब  जिन्नात को   पाने के   लिए संकल्प  लो  अपने  मन में की –‘इस साधना के दौरान या  साधना  पूरी  होने तक  मेरा मित्र जिन्न शत  प्रतिशत मुझे मिल जायेगा’ 

ये संकल्प 7 बार  साधना से  पहले मनन करना है. और   दिन  में  जब भी फुर्सत हो  तब भी  इसी संकल्प का   मनन   करना है.

Jinn  Jinnat  Siddhi जिन्न  जिन्नात   सिद्धि
Jinn  Jinnat  Siddhi - जिन्न  जिन्नात   सिद्धि

अब आसन  लगाकर  रुद्राक्ष की माला पर अपने  इष्ट     मन्त्र या गुरु मंत्र का  जप करना है और  सरसों के तेल   के दीपक का  त्राटक करते हुए जप करें. आपको 1 से  3 बजे  तक  जप और त्राटक करना है और  जब 3 बजे के   बाद   उठेंगे   तब   फिर 7  बार संकल्प करके उठें.

नोट: जिसके  पास   कोई इष्ट मन्त्र या  गुरु   मन्त्र  नहीं है वो   ‘ॐ नमः शिवाय’ का    जप   करे साधना के  लिए.  और भगवान् शिव  ही उनके लिए परम गुरु   होंगे.

वचन :    जब    भी  जिन्न  जिन्नात   सामने  आये तो   आपको बिना  डरे  अपनी   साधना   में ही लगे रहना   है.   उस     पर ध्यान   नहीं देना है. लेकिन  जब   वो खुद   बोले  की  वो   तुमसे  खुश  है तब ही  आपको बोलना  है और कहना है “वचन  देने को  तयार  हो???”  अगर  वो हाँ  बोले    तो वचन   ले     लेना  और न बोले  तो बिना बात किये अपनी साधना में लग जाना.

अगर हाँ  बोले तो क्या वचन   लेना है   ध्यान  से याद कर लो:

1.   हे जिन्न जिन्नात मैं  जब  भी   तुमको पुकारूँगा   तुम को   हाजिर   होना  होगा  और  मेरा जो   भी   काम  होगा  वो  बिना शर्त    के करना  होगा.

2.  हे जिन्न जिन्नात तुम कभी भी किसी भी कारन   से मेरा, या मेरे परिवार का अहित नहीं करोगे चाहे   कोई भी कारन हो और हमेशा मेरे अनुकूल रहोगे.

ये दोनों वचन जरूरी है इसीलिए इनका जरूर ध्यान   रखना.


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