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3 Baje Subah Dikhaai di Sundri – तीन बजे सुबह दिखाई दी सुंदरी

 

3 Baje Subah Dikhaai di Sundri
3 Baje Subah Dikhaai di Sundri 

गुरुभाई मोनू या मनबीर मतलब लोग उसको मोनू भी बोलते है. मुझे खुद गुरुदीक्षा लिए लगभग 10 साल से जयादा होगये है, जैसा गुरुदेव की आज्ञा अनुसार अपना नियम और जाप इत्यादि क्रियाएँ मैं करता हूँ लेकिन मोनू एक तरह से बिलकूल नया साधक था, उसने तो गुरुदीक्षा भी जस्ट अभी साल ही हुआ है लिए हुए.

       मोनू हमारी तरह ज्यादा जाप नहीं कर पता था और न ही समय का पाबंद रह पाता था उसका मन ही नहीं लगता था लेकिन गुरु जी में आस्था बहुत तगड़ी थी. इसीलिए सारा दिन गुरूजी के चारो और ही घूमता रहता था. गुरूजी ने कुछ काम बोला नहीं और उसने किया नहीं. गुरु देव ने देखा की पात्र तो है लेकिन ललक लगानी पड़ेगी एक बार.

तीन बजे सुबह दिखाई दी सुंदरी
तीन बजे सुबह दिखाई दी सुंदरी 


       मोनू की एक और बड़ी तीव्र जिज्ञासा थी पारलोकिक शक्तियों से संपर्क करने की , उन्हें देखने की और उनसे बात करने की इत्यादि. और गुरु जी को उसकी इस जिज्ञासा का पता था उन्होंने ने उसको कई बार समझाया भी की उसके लिए बहुत स्ट्रोंग जापक और साधक होना जरूरी तभी ये सब सुरक्षित संभव है. लेकिन फिर भी गुरु जी से बार बार इस विद्या के लिए बोलता रहता था.

       गुरुदेव तो शाबर विद्या के माहिर साधू थे लेकिन वो मोनू को इसमें नहीं उलझाना चाहते थे इसलिए उन्होंने एक भक्ति मार्ग का सरल उपाय मोनू को बताया और तरीका यानी मार्ग बताकर उसको लगा दिया. उन्होंने मोनू को सुबह 3 बजे तक सिद्ध चेतन धूने पर आने को कहा नाहा धोकर अगले 40 दिनों तक. और ये क्रिया शरू की शुक्ल पक्ष के रविवार से.

       सुबह 3 बजे मोनू पहुच गया तब गुरुदेव ने मोनू को बोला की सबसे पहले सिद्ध चेतन धूने की चारो और से अच्छे से सफाई करो. सफाई करके मोनू ने ज्योत लगाईं, दीपक लगाकर मोनू एक बोरी यानी ऊनि आसन पर बैठ कर बाबा का जप ध्यान शरू किया. और 5 बजे के बाद वो घर लौट जाता.

3 बजे सिद्ध चेतन धूने पर पहुचने के लिए मोनू को सूबह 2 बजे उठना पड़ता था फ्रेश होकर और नाहा धोकर 3 बजे तक वो पहुच जाता था. लगभग 15 दिनों तक नार्मल चलता रहा. गुरु जी ने भी पहले दिन विधि समझा दी थी अब वो प्रतिदिन अकेला ही होता था 2 बजे से लेकर 5 बजे तक.

गुरु आज्ञा ही केवलं’ इस बार मोनू के दिल में ये बात पूर्ण रूप से उतर गयी और जैसा बोला वैसा करता जा रहा था प्रतिदिन. गुरुदेव हमेशा बताया करते थे की 12 बजे मिडनाइट से सुबह 2 बजे तक सभी भूत प्रेत बेताल आदि शक्तियों का समय होता है और 2 बजे सुबह से 4 बजे सुबह तक सभी सिद्ध महात्मा का समय होता है.

18वें दिन मोनू जब सिद्ध चेतन धूने की सफाई कर रहा था तब वहां गुरु जी आये, तब मोनू ने चरण स्पर्श किये आशीर्वाद लिया और अपने काम में ही लगा रहा लेकिन मोनू ने उनके मुंह की तरफ देखा तक नहीं क्योंकि मोनू का पूर्ण ध्यान सफाई में था, गुरूजी मोनू को प्रसाद देकर चले गए. ऐसा कई दिन चलता रहा, गुरूजी अब प्रतिदिन सुबह मोनू को परसाद देकर चले जाते.

       मोनू को नियम में चलते हुए 30 दिन हो गये थे और आज फिर सुबह 3 बजे आकर उसने सफाई की, ज्योत लगाईं और बाबा का ध्यान किया. लेकिन गुरूजी परसाद देकर नहीं गए बल्कि उसने देखा आज तो गुरूजी आये ही नहीं. मोनू ने सोचा की गुरु जी कहीं दुसरे काम में व्यस्त हो गये होंगे.

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मोनू का घर अन्दर गाँव में था और सिद्ध चेतन धूना बहार खेतो की तरफ था. एक दिन मोनू प्रतिदिन की तरह सुबह उठा और नहाधोकर धूने पर जाने लगा. रस्ते में उसने देखा की बारात आई हुई है, लोग नाच गा रहे है और जश्न मना रहे है. मोनू ने ये भी देखा की सभी ने सफ़ेद कपडे पहन रखे है. और सब की जो हाइट है वो काफी ऊँची है. लगभग कम से कम 7 फूट या उससे ज्यादा हाइट थी उनकी. मोनू को बड़ा अचरज हुआ और कौतुहल वश , ये जानने के लिए की वो कौन है और किस बात का जश्न मना रहे है उनकी और चल पड़ा. वो उनमे दाखिल हो गया और देखा कई तरह की मिठाई और शराब वहां सजी हुई थी, ये सब देख भाल कर मोनू ने सोचा पहले गुरूजी का नियम कर के आता हूँ फिर इनसे बात करूँगा. वो जैसे ही वहां से मुड कर धूने की तरफ मुंह किया तत्काल एक बहुत ही खुबसूरत सुन्दरी उसके सामने शराब लेकर प्रस्तुत हुई, और बोली आप बिना मेहमान नवाजी लिए कैसे जा सकते है. ये बोलते हुए उस सुन्दरी ने तुरंत शराब उसके होठो पर लगा दी, मोनू ने घबराकर गुरु देव को याद किया की ये सब क्या हो रहा है गुरु देव, मुझे बचाइए. जैसे ही उसने गुरु जी को याद किया तुरंत किसी ने उसे हाथ पकड़ कर खीच लिया. और उसकी जैसे आँख खुल गयी. और उसने पाया की वो तो धूने पर है और सफाई करके ज्योत लगाकर ध्यान में बैठा था. लेकिन गुरु जी दिखाई नहीं दिए लेकिन उनका प्रसाद आज फिर उसके पास ही रखा था. मोनू को बड़ा अस्चर्य हुआ की ये सब इतना वास्तविक था की उसे लगा सब हकीकत में उसके साथ हो रहा है.

आज मोनू का 40 वां दिन था और आज मोनू का अनुष्ठान भी पूरा हुआ. आज मोनू दिन में कई दिनों बाद आ पाया गुरु जी के दर्शन करने. हम भी वोहीं मौजूद थे. गुरु जी ने पूछा परलौकिक शक्तियों से संपर्क हुआ कुछ किसी के दर्शन हुए या नहीं??

मोनू बोला – नहीं गुरु जी, दर्शन ही नहीं हुए?

गुरु जी ने कहा: मोनू ये बताओ ध्यान किसका करते थे? किस देव का जप करते थे?

मोनू बोला – गुरुदेव आप ही ने बाबा गणेश नाथ जी का नाम जप और ध्यान के लिए बताया था? और उसी का जप और बाबा गणेश नाथ का ही ध्यान करता था.

गुरूजी ने कहा – अच्छा तो सेवा के समय कभी प्रसाद नहीं मिला तुमको ????

मोनू – जी प्रसाद तो आप ही ने दिया था ...????

गुरूजी – मोनू मैं तो बस पहले दिन ही तुम्हारे साथ रहा था कुछ देर जब तुमको विधि समझाई थी बाद में मैं कभी नहीं मिला तुमसे.

मोनू – गुरूजी तो प्रसाद किसने दिया? कौन थे वो? मैं तो आपको ही समझ रहा था...

गुरूजी – वो सिद्ध गुरु गणेश नाथ जी है, जो पहले दिन से लेकर 40 वें दिन तक तुम्हारे साथ रहे ...

(नोट: सिद्ध गुरु गणेश नाथ जी को शरीर छोड़े 100 वर्षों से अधिक हो चूका है.)

मोनू – क्या???????? (आश्चर्य से मुंह खुला रह गया मोनू का)

गुरूजी ने तुरंत दूसरा सवाल किया – अच्छा चल ये बता उस सुंदरी के हाथ की शराब कैसी लगी तुझे???

मोनू – सुन्दरी शराब ???? मोनू की हालत इतनी तब खराब नहीं हुई जितनी अब. वो इतना भाव विभोर हुआ की गुरु देव के चरणों में लिपट कर रोने लगा. गुरुदेव ने हम सबको बहार भेज दिया. और लगभग एक घंटे तक कक्ष में रहे.

       मैंने गुरु जी से अनेको बार पुच्छा की कौन थी वो सुन्दरी और कौन थे वो सफ़ेद पौशाक धारी लेकिन गुरु जी ने हमेशा टाल दिया लेकिन मोनू सब जान चूका था. मोनू जिसे हम फद्दु और बेकार मानते थे वो हमसे बहुत आगे निकल चूका था. अब वो समयानुसार जप ध्यान और सेवा सही से करने लगा था क्योंकि ललक अब लग चुकी थी.

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